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नैषध-चरित-चर्चा

दयता के भी उदाहरण दिखाई देते हैं। रसनिष्पत्ति भी किसी- किसी स्थल-विशेष में ऐसी हुई है कि हृदय आनंद-सागर में डूब-सा जाता है।





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