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अङ्क ३]
[दृश्य २
न्याय
दारोग़ा
तुम बाहर किसी दूकान में ही होते, तो क्या बातें करने पाते?
ओक्लियरी
संसार की बातचीत तो सुनता।
दारोग़ा
[मुसकिराकर]
अच्छा, अब ये बातें बन्द होनी चाहिएँ।
ओक्लियरी
अब ज़बान न खोलूँगा, हुज़ूर।
दारोग़ा
[घूमकर]
सलाम!
ओक्लियरी
सलाम, हुज़ूर।
[वह कोठरी में जाता है, दारोग़ा दरवाज़ा बन्द करता है।
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