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१.

उल्लू का अभिषेक

"एक एव हितार्थाय तेजस्वी पार्थिवो भुवः।

एक राजा के रहते दूसरे को राजा बनाना

उचित नहीं।


एक बार हंस, तोता, बगुला, कोयल, चातक, कबूतर, उल्लू आदि सब पक्षियों ने सभा करके यह सलाह की कि उनका राजा वैनतेय केवल वासुदेव की भक्ति में लगा रहता है; व्याधों से उनकी रक्षा का कोई उपाय नहीं करता; इसलिये पक्षियों का कोई अन्य राजा चुन लिया जाय। कई दिनों की बैठक के बाद सब ने एक सम्मति से, सर्वाङ्ग सुन्दर उल्लू को राजा चुना।

अभिषेक की तैयारियाँ होने लगी, विविध तीर्थों से पवित्र जल मँगाया गया, सिंहासन पर रत्न जड़े गए, स्वर्णघट भरे गए, मङ्गल पाठ शुरू हो गया, ब्राह्मणों ने वेद पाठ शुरू कर दिया, नर्तकियों ने नृत्य की तैयारी कर ली; उलूकराज राज्यसिंहासन पर बैठने ही वाले थे कि कहीं से एक कौवा आ गया।

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