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२.

बड़े नाम की महिमा

'व्यपदेशेन महतां सिद्धिः संजायते परा।'

बड़े नाम के प्रताप से ही संसार के काम

सिद्ध हो जाते हैं।


एक वन में 'चतुर्दन्त' नाम का महाकाय हाथी रहता था। वह अपने हाथीदल का मुखिया था। बरसों तक सूखा पड़ने के कारण वहाँ के सब झील, तलैया, ताल सूख गये, और वृक्ष मुरझा गए। सब हाथियों ने मिलकर अपने गजराज चतुर्दन्त को कहा कि हमारे बच्चे भूख-प्यास से मर गए, जो शेष हैं मरने वाले हैं। इसलिये जल्दी ही किसी बड़े तालाब की खोज की जाय।

बहुत देर सोचने के बाद चतुर्दन्त ने कहा—"मुझे एक तालाब याद आया है। वह पातालगङ्गा के जल से सदा भरा रहता है। चलो, वहीं चलें।" पाँच रात की लम्बी यात्रा के बाद सब हाथी वहाँ पहुँचे। तालाब में पानी था। दिन भर पानी में खेलने के बाद हाथियों का दल शाम को बाहर निकला। तालाब के चारों ओर

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