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काकोलूकीयम्] [१७७

यहाँ हमें नहीं ठहरना चाहिये। हम किसी दूसरे पर्वत की दरा में अपना दुर्ग बना लेंगे। हमें उस बुद्धिमान् गीदड़ की है आने वाले संकट को देख लेना चाहिए, और देख कर अपनी गुफा को छोड़ देना चाहिए जिसने शेर के डर से अपना गुफा छोड़ दिया था।

उसके साथियों ने पूछा—"किस गीदड़ की तरह?"

रक्ताक्ष ने तब शेर और गीदड़ की वह कहानी सुनाई जिसमें गुफा बोली थी।