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१३.

बोलने वाली गुफा

"अनागतं यः कुरुते स शोभते"


आने वाले संकट को देखकर अपना
भावी कार्यक्रम निश्चय करने वाला

सुखी रहता है

एक जंगल में खर-नखर नाम का शेर रहता था। एक बार इधर-उधर बहुत दौड़-धूप करने के बाद उसके हाथ कोई शिकार नहीं आया। भूख-प्यास से उसका गला सूख रहा था। शाम होने पर उसे एक गुफा दिखाई दी। वह उस गुफा के अन्दर घुस गया और सोचने लगा—"रात के समय रहने के लिये इस गुफा में कोई जानवर अवश्य आयगा, उसे मारकर भूख मिटाऊँगा। तब तक इस गुफा में ही छिपकर बैठता हूँ।"

इस बीच उस गुफा का अधिवासी दुधिपुच्छ नाम का गीदड़ वहां आ गया। उसने देखा, गुफा के बाहिर शेर के पद-चिन्हों की पंक्ति है। पद-चिन्ह गुफा के अन्दर तो गये थे, लेकिन बाहिर नहीं

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