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२.
आज़माए को आज़माना

'जानश्चपि नरो दैवात्प्रकरोति विगर्हितम्।'

सब कुछ जानते हुए भी जो मनुष्य बुरे काम में

प्रवृत्त हो जाय, वह मनुष्य नहीं गधा है।

एक घने जङ्गल में करालकेसर नाम का शेर रहता था। उसके साथ धूसरक नाम का गीदड़ भी सदा सेवाकार्य के लिए रहा करता था। शेर को एक बार एक मत्त हाथी से लड़ना पड़ा था, तब से उसके शरीर पर कई घाव हो गये थे। एक टाँग भी इस लड़ाई में टूट गई थी। उसके लिये एक क़दम चलना भी कठिन हो गया था। जङ्गल में पशुओं का शिकार करना उसकी शक्ति से बाहर था। शिकार के बिना पेट नहीं भरता था। शेर और गीदड़ दोनों भूख से व्याकुल थे। एक दिन शेर ने गीदड़ से कहा—"तू किसी शिकार की खोज कर के यहाँ ले आ; मैं पास में आए पशु को मार डालूँगा, फिर हम दोनों भर-पेट खाना खायेंगे।"

गीदड़ शिकार की खोज में पास के गाँव में गया। वहाँ उसने

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