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लब्धप्रणाशम्] | [२०३ |
कर इसे जूठा क्यों किया?"
गीदड़ बोला—"स्वामी! ऐसा न कहो। इसके कान और दिल थे ही नहीं, तभी तो यह एक बार जाकर भी वापस आ गया था।"
शेर को गीदड़ की बात पर विश्वास हो गया। दोनों ने बाँट कर गधे का भोजन किया।
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कहानी कहने के बाद बन्दर ने मगर से कहा कि—"मूर्ख! तू ने भी मेरे साथ छल किया था। किन्तु दंभ के कारण तेरे मुख से सच्ची बात निकल गई। दंभ से प्रेरित होकर जो सच बोलता है, वह उसी तरह पदच्युत हो जाता है जिस तरह युधिष्ठिर नाम के कुम्हार को राजा ने पदच्युत कर दिया था।"
मगर ने पूछा—"युधिष्ठिर कौन था?"
तब बन्दर ने युधिष्ठिर की कहानी इस प्रकार सुनाई—