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२०६] | [पञ्चतन्त्र |
उसने कहा कि भले ही तुम सर्वगुणसम्पन्न हो, शूर हो, पराक्रमी हो, किन्तु हो तो कुंभकार ही। जिस कुल में तेरा जन्म हुआ है वह शूरवीरों का नहीं है। तेरी अवस्था उस गीदड़ की तरह है, जो शेरों के बच्चों में पलकर भी हाथी से लड़ने को तैयार न हुआ था"।
युधिष्ठिर कुंभकार ने पूछा—"यह किस तरह?"
तब राजा ने सिंह-शृंगालपुत्र की कहानी इस प्रकार सुनाई—