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४.

गीदड़ गीदड़ ही रहता है

'यस्मिन् कुले त्वमुत्पन्नो गजस्तत्र न हयन्ते'

गीदड़ का बच्चा शेरनी का दूध पीकर भी

गीदड़ ही रहता है।

एक जंगल में शेर-शेरनी का युगल रहता था। शेरनी के दो बच्चे हुए। शेर प्रतिदिन हिरणों को मारकर शेरनी के लिये लाता था। दोनों मिलकर पेट भरते थे। एक दिन जंगल में बहुत घूमने के बाद भी शाम होने तक शेर के हाथ कोई शिकार न आया। खाली हाथ घर वापिस आ रहा था तो उसे रास्ते में गीदड़ का बच्चा मिला। बच्चे को देखकर उसके मन में दया आ गई; उसे जीवित ही अपने मुख में सुरक्षा-पूर्वक लेकर वह घर आ गया और शेरनी के सामने उसे रखते हुए बोला—"प्रिये! आज भोजन तो कुछ मिला नहीं। रास्ते में गीदड़ का यह बच्चा खेल रहा था। उसे जीवित ही ले आया हूँ। तुझे भूख लगी है तो इसे खाकर पेट भरले। कल दूसरा शिकार लाऊँगा।"

(२०७)