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३.

वैज्ञानिक मूर्ख

वरं बुद्धिर्न सा विद्या, विद्याया बुद्धिरुत्तमा।
बुद्धिहीनाः विनश्यन्ति यथा ते सिंहकारकाः॥


बुद्धि का स्थान विद्या से ऊँचा है।

एक नगर में चार मित्र रहते थे। उनमें से तीन बड़े वैज्ञानिक थे, किन्तु बुद्धिरहित थे; चौथा वैज्ञानिक नहीं था, किन्तु बुद्धिमान् था। चारों ने सोचा कि विद्या का लाभ तभी हो सकता है, यदि वे विदेशों में जाकर धन संग्रह करें। इसी विचार से वे विदेश यात्रा को चल पड़े।

कुछ दूर जाकर उनमें से सब से बड़े ने कहा—

"हम चारों विद्वानों में एक विद्या-शून्य है, वह केवल बुद्धिमान् है। धनोपार्जन के लिये और धनिकों की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिये विद्या आवश्यक है। विद्या के चमत्कार से ही हम उन्हें प्रभावित कर सकते हैं। अतः हम अपने धन का कोई भी भाग इस विद्याहीन को नहीं देंगे। वह चाहे तो घर वापिस चला जाये।"

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