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९.
लोभ बुद्धि पर परदा डाल देता है
"यो लौल्यात् कुरुते कर्म न चोदकमवेक्षते।
विडम्बनामवाप्नोति स यथा चन्द्रभूपतिः"
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बिना परिणाम सोचे चंचल वृत्ति से कार्य का
आरंभ करने वाला अपनी जग-हँसाई कराता है
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एक नगर के राजा चन्द्र के पुत्रों को बन्दरों से खेलने का व्यसन था। बन्दरों का सरदार भी बड़ा चतुर था। वह सब बन्दरों को नीतिशास्त्र पढ़ाया करता था। सब बन्दर उसकी आज्ञा का पालन करते थे। राजपुत्र भी उन बन्दरों के सरदार वानरराज को बहुत मानते थे।
उसी नगर के राजगृह में छोटे राजपुत्र के वाहन के लिये कई मेढे भी थे। उन में से एक मेढा बहुत लोभी था। वह जब जी चाहे तब रसोई में घुस कर सब कुछ खा लेता था। रसोइये उसे लकड़ी से मार कर बाहिर निकाल देते थे।
वानरराज ने जब यह कलह देखा तो वह चिन्तित हो गया।
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