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१२.

मिलकर काम करो

"असंहता विनश्यन्ति"


परस्पर मिल-जुलकर काम न करने वाले
नष्ट हो जाते हैं।

एक तालाब में भारण्ड नाम का एक विचित्र पक्षी रहता था। इसके मुख दो थे, किन्तु पेट एक ही था। एक दिन समुद्र के किनारे घूमते हुए उसे एक अमृतसमान मधुर फल मिला। यह फल समुद्र की लहरों ने किनारे पर फैंक दिया था। उसे खाते हुए एक मुख बोला—"ओः, कितना मीठा है यह फल! आज तक मैंने अनेक फल खाये, लेकिन इतना स्वादु कोई नहीं था। न जाने किस अमृत बेल का यह फल है।"

दूसरा मुख उससे वंचित रह गया था। उसने भी जब उसकी महिमा सुनी तो पहले मुख से कहा—"मुझे भी थोड़ा सा चखने को दे दे।"

पहला मुख हँसकर बोला—"तुझे क्या करना है? हमारा

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