पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/१६९

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126 PAUMACARIU Colophon of the 100. Sandhi: 66. इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय-सयम्भुएव-उव्वरिए। तिहुवण-सयम्भु-महाकइ-समाणिए समवसरणं णाम सउमो सग्गो।। Colophon of the 102. Sandhi: 67. इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय-सयम्भु-उव्वरिए। तिहुवण-सयम्भु-महकइ-समाणिए कण्ह-महिल-भवगहणमिणं ।। 68. तिहुवणो जइ वि ण होन्तु णन्दणो सिरि-सयम्भुएवस्स । कव्वं कुलं कवित्तं तो पच्छा को समुद्धरह ॥ 105. Sandhi, 16 (last) Kadavaka, Ghattā and Colophon: 69. इउ जाणिवि जिण-मउ मणि धरह' जिम जमकित्ति पवित्थरहों। संसाफ महण्णवु अइ-विसम्, सई एण हेलइ तरउ (हो')॥ 70. इय रिट्ठणेमिचरिए सयम्भुएव-कए दारावइदाह-पव्वमिणं । संघि १०५॥ 106. Sandhi, last Kadavaka, Ghattā and Colophon: 11. ते धण्णा सउण्णा के-वि णरा पालिय-संजम फेडिय-दुम्मइ। इह भवें जनुकित्ति पवित्थरिवि हुन्ति सयम्भुवणाहिवइ॥ 72. इय रिट्ठणेमिचरिए-सयम्भु विरइए णारायणमरण-पव्वमिणं ॥ 107. Sandhi, last Kadavaka, 2. line before the Ghattā. 13. जसुकित्ति अणुसरइ मणु कहि-मि ण धरइ॥ 107. Sandhi, last Kadavaka, Ghattă. 71. मइम्भुयएण विढत्तु धणु जिम विलसिज्जइ सन्त। नेम मुहासुह-कम्मडा भुजिज्जहि णि भन्त ।। 107. Sandhi, Coloph 75. इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय-सयम्भुएव-उव्वरिए। तिहुवण-सयम्भु-रइए समाणियं सोय-वलहडें । 108. Sandhi, last Kadavaka, Ghattā and colophon. 16. पिय-मायरिहि विराइय महि विक्खाइय भूसिय णिय जस केत्ति जणि । जिण-दिक्खहें कारणे दुक्ख-णिवारणं देउ सयम्भुय धरेवि मणि । 7. इय रिटठणेमिचरिए धवलइयासिय-सयम्भुएव-उव्यरिए। तिहुवण-सयम्भु-रइए हलहर-दिक्खासमं कहियं ॥ 78. जरकुमर-लम्भो पण्डवघरवास-मोहपरिचायं । मय-अठ्ठाहिय-सन्धी समाणियं एत्थ वर-कइणा॥ 109. Sandhi, Colophon, 72. इय रिट्ठणेमि-पुराण-संगहे धवलइयासिय-का-सयम्भुएव उबरिए। तिहुयण-सयम्भु-रइए समाणियं पण्डमुयहो भवं । णवाहिय-सयं संधी ।। 819. इह जमकित्ति-कएणं पव्व-समुद्धरण-राय-एक्कमणं । कहरायस्सुम्वरियं पयडत्थं अक्खियं जइणा ॥ 81. ते जीवन्ति य भुवणे सज्जण-गुण-गणहरा य भावत्या। पर-कव्व-कुलं वित्तं विहडियं पि जे समुद्धरहि ॥