पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/१९८

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INTRODUOTION 28 308 णिय-जन्दणु णियय-याण धवैवि 15 82. 308 VP. उविऊण नियमरजे पुत्तं। 10 89. 809 चमरे ममरे विष्णु वरु सूकाउहु 15 9 4. 309 मसुरेन्द्रेण यहत्तं शूलरत्नं महागुणम् । 12 12. VP. एयस्स सूकरयणं दिलं असुरेण । 12 6. 310 पिड गवर गम्मि कहलास-घरें 15 9 5. 310 विरेण xx प्रापाष्टापदभूधरम् । 12 72. VP. महावयपस्वयं पत्तो। 1236. 311 वन्देप्पिणु जिणवर-भवणाई। 15 9 8. 311 नमस्कृतजिनालयः । 12 78. 312 जलकुम्वरहों दुला-णयर-परमेसरहाँ। 312 नलकूबरः xx पुरे दुर्लयसंशके 12 79. 15 10 2. VP. नलकुम्वरो ति नाम दुलाबपुरे परिवसह । 1288. 813 वलवन्तई जन्तई। 15 106. 313 उदारय ाणि । 1292. 314 मई होन्तिऍ। 15121. 314 मयि सत्याम् । 12 104. 815 हि तुमुलें जुज्में xxx, 315 ततो महति संग्रामे xx विभीषणेन केगेन जिह सहसकिरणु रणे रावणेण ॥ xxx नलकूबरः गृहीतःxxxi तक्खणेंण, जलकुम्वरु धरिउ विहीसणेण ॥ सहस्रकिरणे कर्म दशवकेण यत्कृतं । 15 15 6-7. विभीषणेन xx तत्कृतं नलकूबरे ॥ 12142-144. VP.गहिओ बिहीसणेणं नलकुम्वरपत्यिवो समरे। 12 68 316 वाणर-चिन्धु xxx महिन्दहौं णन्दणु । 316 सूनुर्महेन्द्रस्य कपिकेतोः। 12 205 1739 VP. कइडओ महिन्दसुओ। 12 96 317 मई ताय जियन्ते। 17510. 317 सत्येव मयि देवेन्द्र । 12 225 318 सिरिमालि पहरिसिउ । 17 68. 318 श्रीमालीxxx दुष्टः। 12231 VP. सिरिमालीण सहरिस। 12 108 319 दहमुह-पित्तिएणxxx। 319 कनकेन ततो भित्वा जयन्तो विरवीकृतः। मुसुमूरिउ महारहो कणय-पहरणेणं 1771 श्रीमालिना॥ 12 234 VP.सिरिमालीणxxxकणएणं विरहो कमओ जयन्तो। 12 103 820 मुच्छा-विहलालु उद्दिउ । 17 7 3. 320 मूर्छायाश्च परित्यागादुत्थिते । 12 235 VP. मुच्छावस-वेम्मलो जाओ। 12 103 321 मीसण-मिण्डिवाल-पहरण-धरु, 321 आहत्य भिण्डिमालेन जयन्तेन ततः कृतः जाउहाण हु किउ सय-सकरु। 1774 श्रीमालिविरथो रोषात् प्रहरणेन। 12236 322 सुरवह-णन्दणेण xxx गय भावि ॥ 322 मुरराजस्य सूनुना स्तनान्तरे हतो गाउँ भाहट वच्छत्थ, पडिड रसायलें । गदया पतितो भुवि । 12 240 17 7 9-10 VP. जयन्तेण xxx पहनो यणन्त- रोवार सिरिमालि गयप्पहारेणं। 12 104 323 सन्दण सन्दणेण संचूरह, 328 हन्यते वाजिना वाजी वारणेन मतमजः । गयघर गयवरेण मुसुमूरह। तत्रस्थेन च तत्रस्थो रन वसते रथः॥ तुरट सुरम्मेण विणिवायह 12 264 परवर णरवर-बाएं पायह। 17 9 4-5. - .