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पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/२३२

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क०९,९,१०,१-९,११,१-६] विईओ संधि 88 15 ॥ घत्ता ॥ रङ्गे पइट्ठ तुरन्ति कर-दिदि-भाव-रस-रञ्जिय। विन्भम-भाव-विलास दरिसन्तिऍ" पाण विसन्जिय ॥ ९ [१०] जणीलञ्जणे पाणेहि मुक्की जाय जिणहों तो सङ्क गुरुकी ॥१॥ 'धिद्धिगत्थु संसारु असारउ अण्णहों अण्णु होइ कम्मारउ ॥२ अण्णहों अण्णु करइ भिच्चत्तणु' तं जि हूउं वइरायों कारणु ॥ ३ लोयन्तियहिँ तामै पडिवोहिउ 'चारु देव जं सई उम्मोहिउ" ॥४ उवहिहि णव-णव-कोडाकोडिउ" णट्ठउ धम्म सत्थु परिवाडिउँ ॥५ णटुइँ दंसण-णाण-चरित्तइँ दाण-झाण-संजम-सम्मत्तइँ॥६ पञ्च महव्वय पञ्चाणुव्वय तिण्णि गुणव्वय चउ सिक्खावय॥७ णियम-सील-उववास-सहासइँ पइँ होन्तेण हवन्तु असेसइँ"" ॥८ ॥ घत्ता॥ ताम विमाणारूढ चउ-दिसु चउँ देव-णिकाया"। 'पइँ विणु सुण्ण मोक्खु णं जिण-हक्कारा आया ॥९ [११] सिविया-जाणे सुरवर-सार जय-जय-सद्दे चडिउ भडारउ ॥ १ देवहि खन्धु देवि उच्चाइउ णिविसें' तं' सिद्धत्थु पराइउ ॥२ तहिँ उववणे थोवन्तर्रु थाऍवि भरहहों राय-लच्छि करें लाऍवि ॥३ 'णमह परम-सिद्धाण' भणन्तें किउ पयागें" णिक्खवणं तुरन्तें ॥४॥ मुट्ठिउ पञ्च भरेप्पिणु लइय चामीयर-पडलोवरें" थवियउ ॥५ गेण्हेंवि* जण-मण-णयणाणन्दे घित्तउँ खीर-समुद्दे" सुरिन्दे ॥ ६ 19 s रंगि. 20 s करा. 21 8 A रंजिया. 22P दरिसत्तिए, । हरिसत्तिए. 235 विसजिया. 10. 1 1 णीलंजस . 2 P पाणहिं, 5 पाण. 3 5 विमुक्की. 4 d तं. 51 धिगधिगत्यु, 5 विगधिगेत्तु. GA अण्णहु. 7 PS होउ. 8 5 वयरायहु. 9 P ताव. 10 " सई, : सइ. 11 PA उम्मोहिउं, 5 उम्माहिउं. 12 1 उमहिउ, उवहिउ,A उवहिंहिं. 13. 5 कोडिउ कोडिउ. 14 PS धम्म. 15 P पडिवाडिउ. 16 $ गट्टइ. 17 ' S असेसइ. 18 s missing. 19 PA निकाय. 20 s पइ. 21 P सुण्ण, A सुन्नउं. 22 P A आय. 11. 1 P सिविआ.2 °सारउं. 3 5 देविहि, A देविहिं. 4 s णिविसिं. 5A तें. 69 सिधत्थु परायउ. 7 PS तहि उववणि. 8 + थोवंतरि, $ थोवंतरे. 9 करि लाइवि. 10A पयागि. 11 PA निक्खवणु. 12 P लहाउ. 13 4 5 पडलोयरि, A पडलोवरि. 14 PA गेन्हेवि. 15 A वित्तउं. 16 PS A समुदि. ४ हस्तादिभिः बहुविन्यासैः.