पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/२८७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

७४ 11 पउमचरित [क०७१-61-1 [७] तं 'णिसुणेवि चोइउ अइरावउ णावइ णिज्झरन्तु कुलं-पावउ ॥१ मालि-पुरन्दर भिडिय परोप्पर विहि मि महाहउ जाउ भयङ्कर ॥२ जुझइँ सेस-णरेंहिं परिचर्त. थिय पडिथिर करेप्पिणु णेत्त ॥ ३ • इन्दयालु जिह तिह जोइजइ रक्खें रक्ख-विज चिन्तिजइ ॥४ मीम-महाभीमेंहिँ जा दिण्णी गोत्त-परम्पराएँ अवइण्णी ॥ ५ सा विकराल-वयण उद्धाइय परिवडिय गयणयले ण माइय ॥ ६ चिन्तिउ वरुण-पवण-जम-धणऍहि 'पत्तुं इन्दु चरिऍहि अप्पणऍहि ॥ ७ दूएं" वुत्तु आसि" रायङ्गणे दुजउ मालि होइ समरङ्गणें ॥८ ॥ घत्ता ॥ तहिं पत्था पुरन्दरण माहिन्द-विज लहु संभरिय। वडिय तहे विचउग्गुणिय रवि-कन्तिऍ ससि-कन्ति व हरिय ॥९ [८] तं माहिन्द-विज्ज अवलोऍवि' भणई सुमालि मालि-मुहुँ जोऍवि ॥१ 'तइयहुँ ण किउ महारउ वृत्तउ एवहिं आयउ कालु णिरुत्तउ' ॥२ तं णिसुणेवि पलम्व-भुय-डालें अमरिस-कुद्धएण रणे मालें ॥३ वायव-वारुण-अग्गेयत्थई मुक्कइँ तिणि मि गयई णिरत्थई ॥४ जिह अण्णाण-कण्णे जिण-वयणइँ जिह गोढुङ्गणे" वर-मणि-रयण ॥ ५ जिह उवयार-सयइँ अकुलीणऍ वय जेम चारित्त-विहीणएँ ॥६ गम्पि पहञ्जणु मिलिउ पहञ्जणे वरुणों वरुणु हुँवासु हुआसणें ॥ ७ हसिउ पुरन्दरेण 'अरे माणव देव-समाण होन्ति किं दाणव' ॥८ ॥ घत्ता॥ भणइ मालि 'को देउँ तुहुँ वलु पउरु सु सयलु णिरिक्खियउ । "जं वन्धहि ओहद्दहि वि इन्दयालु पर सिक्खियउ' ॥९ 15 20 7. 18 णिसुणिधि चोयउ... उल. 3 s 'पुरंदरु. 4 A विहिं वि. 5s जुज्महे, A जुज्जमजुज्झइं. 6 5 परिचत्तइ. 7 SA पडिथिरइ. 8 Sणेत्तइ. 9s तिह. 10 s रक्खइ. 11 s महाभीमहि. 1:°परंपराय अवयण्णी. 135 धणयहिं. 14 A पुत्तु. 15 A चरियहि. 16 5 अप्पणयहिं. 17 S दूयहिं. 18 A मासि. 19 s तहि. 20 A पस्थावि. 21 s संभरिया. 22 PS होवि.:23 हरिया. 8. | ., अवलोयति. 2. भणई. 3. मोहुं. 1 • जोयवि. 5 3 तइयहो. Gs येवहि.7 3 रण. 66 "यस्थइ. :) s वि. 10 गयइ. 11 | गोटुंगणाए मणि'. 1: अकुलीणइं. 13 s वयइ. 14 : विहूणइं. 15 वरुणहु. 10A हुयासु हुयामणे. 17s देव सुहु. 18 जहिं परहहि बिह, 195 परि सिक्खियउ,