पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३०५

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९२ पउमचरिउ [क० १,७-९,२,३-९,1,-" जसु सबङ्गइ खण्डेंवि खण्डेवि किय गउ को वि पंडीवउ छण्डेवि ॥७ कामिणि-वयणोहामिय-छाय किर्य ससि-सय मिलेप्पिणु आयई॥८ ॥ घत्ता॥ कहइ सुमालि दसाणणहों 'जण-णयणाणन्द-जणेराई। जिण-भवणइँ छुह-पकिय एयइँ हरिसेणहों के इँ ॥९ [२] अट्ठाहियहें मज्झें महि सिद्धी णव-णिहि-चउदह-रयण-समिद्धी ॥१ पहिलऍ दिवसें महारह-कारणे जाणेवि जणणि-दुक्खं गउ तक्खणें ॥२ वीयएँ तावस-भवणु पराइउँ मयणावलिहें मयण-जरु लाइउँ ॥ ३ ॥ तइयऍ सिन्धुणयरें सुपसण्ण हत्थि जिणेप्पिणु लइयउ कण्ण ॥४ 'वेयमईऍ चउत्थऍ हारिउ जयचन्दहें हियवऍ पइसारि ॥५ पञ्चमें गङ्गाहर-महिहर-रणु तहिं उप्पण्णु चक्कु तहों सरयणु ॥६ छट्टएँ पिहिमि हूअ औवग्गी अण्णु वि मयणावलि करें लग्गी॥७ सत्तमें गम्पि जणणि जोकारिय अट्ठमें दिवसें पुज णीसारिय ॥८ ॥ घत्ता ॥ एयइँ तेणं वि णिम्मियइँ ससि-सङ्ख-खीर-कुन्दुंजलइँ । आहरण व वसुन्धरिहें सिव-सासय-सुहई व अविचलइँ॥९ [३] गउ सुणन्तु हरिसेण-कहाण सम्मेय-इरिहिँ मुंकु पयाणउँ ॥१ . तामं णिणाउ समुट्ठिउ भीसणु जाउहाण-साहण-संतासणु ॥२ पेसिय हत्थ-पहत्थ पधाइय वण-करि णिऍवि पडीवा आइय ॥३ 'देव देव किउ जेण महारउ अच्छइ मत्त-हत्थि अइरावउँ ॥४ 18 A जजस. 19 P सवंगएं. 20 PS कोडि. 21 A छिडेवि. 22 P मिलोप्पणु. 23 A पंकयई. 24 A कैराइ. 2. 1 अट्टादियहे. 22 चउहह.° 3 P S पहिलहि.4 s °दुक्ख. 5 P वीमएं, 8 वीययू. 6s परायड.7 Pमायणु. 8 s लायउ.9 P A सुपसण्णउं, 8 संपण्णउ. 10 A जिणेविणु. 11A कण्णउं. 12 A बेयवईए. 13 s पइसारियउ. 14 A सहसारणु. 15 A जणणि गंपि. 16 P जोहारिय corrected to जयकारिय. 17 s तिण्ण. 18 5 °कंदु.° 19 PS वाल. 3. 1 A °कहाणउं. 2 5 मुक्क. 3 A पयाणउं. 4 P S ताव- 5A missing 6s णिपवि. 7A महरतरउ. २ कृत (?). ३ पुनः. ४ कृता (2). [२] १ वेगमत्या. २ चौरितः. ३ खाधीना. ४ एतानि. [३] १ राक्षसानाम् .