पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३०६

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10 15 ..३,५-९,४,१-९५, १-4] एगारहमो संधि ९३ गजणाएँ अणुहरइ समुद्दहो सीयरेण जलहरहों रउद्दहों ॥५ कहमेण णव-पाउस-कालहों णिज्झरेण महिहरहों विसालहों ॥६ रुक्खुम्मूलणेणं दुबायहाँ सुहड-विणासणेण जमरायहों ॥७ दंसणेण आसीविस-सप्पों विविह-मयावत्थऍ कन्दप्पहों ।। ८ ॥ घत्ता ॥ इन्दु वि चडेवि ण सक्कियर खन्धासणे एयहाँ वारणहो । गउ चउपासिउ परिभवि जिम अत्थ-हीणु कामिणि-जणहों ॥९ [४] अण्णुप्पण्णु दसण्णय-काणणे 'माहव-मासे देसे साहारणे ॥१ उभय-चारि सबङ्गिय-सुन्दरु भद्द-हत्थि णामेण मणोहरु ॥ २ सत्त समुत्तुङ्गाउ णव दीहरु दह परिणाहुँ तिण्णि कर वित्थर ॥ ३ णिद्ध-दन्तु महु-पिङ्गल-लोयणु अयसि-कुसुम-णिहु रत्त-कराणणु ॥ ४ पञ्च-मङ्गलावत्तु मैयालउ चक्क-कुम्भ-धय-छत्त-रिहालउ ॥५ वन्तरट्टि-थणय-कुम्भत्थल पुलय-सरीरु गलिय-गण्डत्थलु ॥६ उण्णय-कन्धरु सूयर-पच्छलु वीस-णहरु सुअन्ध-मय-परिमलु ॥ ७ चाव-वंसु थिर-मंसु थिरोयरु गत्त-दन्त-कर-पुच्छ-पईहरु ॥ ८ ॥ घत्ता ।। एम अणेयइँ लक्खण. किं गणियइँ णाम-विहूणाई। हत्थि-पएसहुँ मैबहु मि चउदह-सयइँ चउरूणाइँ' ॥ ९ [५] तं णिसुणेवि दसाणणु हरिसिउ उरें ण मन्तु रोमञ्च व दरिसिउ ॥१ 'जइ तं भद्द-हत्थि णउ साहमि तो जणणोवरि असि वरु वाहमि' ॥२ एउ भणेवि स-सेण्णु पधाइउ तं पएसु सहसत्ति पराईउ ॥३ 8 P गजणाएं, 3 गज्जणाइ. 9A रक्खुमूलणेण. 10 A सुहहं. 11 A चउपासिहिं. 12 P जिम्ब, जिम, A जिह. 4. 1 1 दसाणण. 2 4 काणणेण. 35 साहरणे. 4 A सम्बंगिड, 8 सत्तुंगिय. 5 s मंदिरु. 6 P परिणाहुं. 7 A करि. 8 P णिद्धदनु, : णिञ्चमंतु. 9 A सयावत्तुं सथालउ. 10 A कुम. 11 A उणय. 12 ' सुअंधय. 13 P थिरवंसु, s थिरथमंसु. 11s पुच्छः, 15 1 5 एयाणेयई. 16 P पएसई, s°पयेसह. 17 P सब मि, 5 सबह मि, A सम्बहुं मि. 18 1 5 चउदह, A पउ. रखु. 19 °सइ. 5. 1 पदरिसिउ, s व हरिसिउ.2P ससेणु, पधायउ. 3 9 परायउ, A पराइहउ. [४] १ चैत्रमासे. २ गिरिचारी समभूमिचारी वा. ३ अलसीपुष्पसदृशः, ४ मस्तक-ताल-हृदय लिङ्ग-त्रिकेषु पञ्च-दक्षिणावर्तः. ५ दीर्घतरः. ६ एतानि. ७ लक्षण १३९६. 20