पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३१६

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आरहेंवि पइज पयड्ड पहु वारहमो संधि [७] सो दूउ कडुय-वयणासि-हउँ सामरिसु दसासहाँ पासु गउ ॥ १ 'किं वहुएं एत्तिउ कहिउ मई तिण-समउ वि ण गणइ वालि पई॥२ तं वयणु सुणेप्पिणु दससिरेण बुच्चइ रयणायर-रव-गिरेण ॥३ 'जइ रण-मुहें माणु ण मलमि तहों तो छित्त पार्य रयणासवहीं' ॥४ णं कहों वि विरुद्धउ कूर-गहु ॥५ थिउ पुष्फविमाणे मणोहरऍ णं सिद्ध सिवालऍ सुन्दरऍ ॥६ करें णिम्मलुं चन्दहासु धरिउ णं घण-णिसण्णु तडि-विष्फुरिउ । णीसरिएं पुर-परमेसरण णीसरिय वीर णिमिसन्तरण ॥ घत्ता ॥ 'अहहुँ पय-भरेण णिरु णिटुरेण मै मरउ धरणि वराइय' । एत्तिय-कारणेण गयणगणेण णावइ सुहड पराइयं ॥९ [८] एत्तहें वि समर-दुजोहेणिहिँ चउदहहिं णरिन्द-अखोहणिहिँ ॥१ सण्णहेवि वालि णीसरिज किह मजाय-विवजिउ जलहि जिह ॥ २ पणवेप्पिणु विण्णि वि अतुल-वल 'थिर्य अग्गिम-खन्धेहिँ णील-णल ॥३ विरइउ आरायणु रणे अचलु पहिलउ जे णिविर्ल्ड पायाल-बलु ॥४ पुणु पच्छऍ हिलिहिलन्त स-भय खर-खुरेहि खणन्त खोणि तुरयं ।। ५ पुणु सइल-सिहर-सण्णिह सैयर्ड पुणु मय-विहलाल हत्थि-हड ॥ ६ पुणु णरवइवर-करवाल-धर आसण्ण दुक तो रैयणियर ॥७ किर समरे भिडन्ति भिडन्ति णइ थिय अन्तरें मन्ति सु-विउल-मइ ॥८ ॥ घत्ता ॥ 'वालि-दसाणणहों जुन्झण-मणहों 'एउ काइँ ण गवेसहाँ। किऍ" खऍ वन्धवहु पुणु केण सहुँ पच्छऍ रज्जु करेसहों ॥९ 7. 1 P°हउं. 2 8 रणउहे. 3s पाप. 4 ? विमाणे. 5 s सुंदराई.6 P णिम्मले. 7 SA जिविसं. 8 PS मम्हहु, मम्हहं. 9 s wanting. 10 P पधाइय, पधाइया. 8. 1 °दुजोहणीहि, s °दुजोहणीहिं. 25 गरेंदें. 3 " भखोहणीहि, s खोहणीहिं. 4 This pāda is missing in a, 5 p s fetest. 6 p forfar, storm. 7 Agogh. 8 PS खणंतु. 9 तुरिय. 10 सबल. 11 Ps सिहरि. 12 8 सुहडा, A सुहर. 13 A बाम मन्ति सुचवि. 14 s किय, A किं. 15 PSA बहु. 16 A करेसहुं. 28 [4] युद्धरचना. १ पादूक (8). ३ रथाः. ४ राक्षसाः.