पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३१७

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1989 पउमचरित [क०९9-10,064 [९] जो कित्तिधवल-सिरिकण्ठ-किउ किकिन्ध-सुकेसहिँ विद्धि णिउ ॥ १ तं खयहो णेहु मा गेह-तरु जइ धरेंविण सक्कों रोस-भरु ॥२ तो वे वि परोप्पर उत्थरहों जो को वि जिणई जयकार तहों' ॥३ । तं णिसुर्णेवि वालि-देउ चवइ 'सुन्दर भणन्ति लङ्काहिवइ ॥ ४ खउ तुज्झु व मज्झु वं णिबडउँ जिम धुंव जिम मन्दोवरि रडउँ ॥५ किं वहहिँ जीहिँ घाइऍहिं वन्धव-सयणेहिं विणिवाइऍहि ॥ ६ लइ पहरु पहरु जइ अत्थि छलु पेक्खहुँ तुह विजहुँ तणउ वलु' ॥७ तं णिसुणेवि समर-सएहिँ थिरु वावरेंवि लग्गु वीसद्ध-सिरु ॥८ " आमेल्लिय विज महोयरिय (१) फणि-फैण-फुक्कार दिन्ति गइय ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ वालिं भीसणिय अहि-णासणिय गारुड-विज विसजिय । उत्त-पडुत्तियएँ कुल-उत्तियएँ णं पुण्णालि परजिय ॥ १० [१०] ।। दहवयणे गरुड-परायणिय पम्मुक्त विज णारायणिय ॥१ गय-सङ्ख-चक्क-सारङ्ग-धरि चउ-मुअ गरुडासण-गमण-करि ॥२ सूररय-सुएण वि संभरिय णामेण विजं माहेसरिय ॥ ३ कङ्काल-कराल तिसूल-करि मसि-गरि-गण-खट्टङ्ग-धरि' ॥ ४ किर अवर विसजइ दहवयणु सय-वारउ परिअञ्चेवि रणु ॥ ५ ४ स-विमाणु स-खग्णु महावलेण उच्चाइउ दाहिण-करयलेंण ॥ ६ णं कुञ्जर-करेंणं कवलु पवरु णं वाहुवलीसें चक्कहरु ॥७ णहें दुन्दुहि ताडिय सुरयणेण किउ कलयलु कइधय-साहणेण ॥८ ॥ घत्ता॥ माणु मलेवि तहों लङ्काहिवहों वद्ध पटु सुग्गीवहों । 'करि जयकार तुहुँ अणुभुले सुहुँ भिन्चु होहि दहगीवहाँ ॥९ 9. 1s कित्तिधवलु. 2 Pणेहु . " धरवि, s धरणि. 4 PA जिणई. 5 s भणेइ.6 PS वि.7 A णिबडइ. 8 रडइ. 9 पेक्ख corrected to पेक्खउ, पेक्खहु. 10 s विजहे, A विजहु. 11118 फणफणि. 12 P पउत्तियए. 10. 1PS दहगीवें. P पमुक्क. 3 P$ °गमणु. 45 विज. 51 s°करी, Aधरि. 6 Ps गोरि. 7A करें. 8 PS सुखग्गु. 9 A वरेण. 10 A कमलु. 11 PS सुरवरेण. 13 Ps कद्धयं. 135 $ सहुं. [९] १ ध्रुवा, बालि-स्त्री. २ सर्पिणीविद्या.