पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३२१

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१०८ पउमचरित [क०४, १-१०,५,!-1 1$ ॥ दुवई ॥ एम भणेवि झत्ति पडिउ इव वालिहें तणेण सावेणं'। तलु भिन्देवि पड्दु महिदारणियहें विजहें पहावेणं ॥ १ 'चिन्तेप्पिणु विज-सहासु तेण उम्मूलिउ महिहरु दहमुहेण ॥२ सु-पसिद्धउ सिद्धउ ल -संसु णावइ दुप्पुत्ते णियय-वंसु ॥ ३ अहवइ णवन्तु दुछिय-भरेण तइलोकु वखित्तु (१) व जिणवरेण ॥४ अहवइ भुवइन्द-ललन्त-णालु णीसारिउ महि-उर्वरहों वै वालु ॥५ अहवइणं वसुह महीहराह छोडाविय वालालुञ्चिराहँ ॥६ ॥ अहवइ चलवलइ भुअङ्ग-थट्ठ णं धरणि-अन्त-पोट्टलु विस९ ॥ ७ खोलक्खउ खोणि-खयालु भाइ पायालहों फाडिउ उअरु णाई ।।८ गिरिवरण चलन्ते चउ-समुद्द अहिमुह उत्थल्लाविय"रउद्द ॥९ ॥ घत्ता॥ जं गयउ आसि णासेप्पिणु सायर-जारें माणियः । तं मण्ड हरेवि पडीवउ जलु कु-कलत्तु व आणियउ ॥ १० [५] ॥ दुबई ।। सुरवर-पवरकरि-कराकार-करग्गुग्गामिएँ' धरे । भग्ग-भुयङ्ग-उग्ग-णिग्गय-विसग्गि-लग्गन्त-कन्दरे ॥१ कत्थई विहडियइँ सिलायलाई सइलग्गइँ कियई व खलहलाई ॥२ कत्थई गय णिग्गय उद्ध-सुण्ड णं धरऍ पसारिय वाहु-दण्ड ॥३ कत्थइ सुअ-पन्ति उद्वियाउ णं तुट्टउँ मरगय-कण्ठियाउ ॥४ कत्थइ भमरोलिउ धावडाउ उड्डुन्ति व कइलासहों जडाउ ॥५ कत्थइ वणयर णिग्गय गुहेहिँ णं वमई महागिरि वहु-मुहेहिँ ॥ ६ 4. 1A पडि अ. 25 साविणं, A साविणा. 3 s तणु. 4 s पट्ट. 5s पहाविणा. 68 बु. 7 P तिलोकु, तिलोकु, A तइलोक. 8 PA खित्तु. 9A भुभइंद. 10 Pउबरहो, sभोयरहो, A उबरहो वालु. 11 8 य. 12 PS A °लुंचिताई. 13 A पत्तु द. 14 Ps खोलुखउ खोणिउ खयाल भाई. 15 PS उच्छल्लाविम रउदु, स्थलावियसमुद. 16P माणिमउं, माणलं, A माणियउं. 17 P माणिडं, माणित, माणियउं. 5. 1PS कहरगामिए धराधरे. 2 A विसग'. 3 Ps कस्यनि. 4 A सइगइ. 5 Ps सोड. 6 धरणि. 7 P°तिउं. 8 P तुषि. 9A बमई. [४] १ नाभिनालम्. २ शिशु. ३ अतीवगानम्. ४ पर्वतगतो. ५ समुद्र, लक्ष्भ्याकरम् (१). [५] १शेल, पर्वत.