पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

2010.-९,१५,१-९] पण्णरहमो संधि [१४] जइ कारण वहरि सिद्धऍण णयरें धण-कणय-समिद्धऍण ॥१ तो कवडेण वि “इच्छामि" भणु पुण्णालि असच्चि दोसु कवणु ॥२ छुडु केम वि विज समावडउ उवरम्भ तुज्झु पुणु मा वडउ' ॥३ तं णिसुर्णेवि गउ दहगीउ तर्हि मजणयहाँ णिग्गय दूइ जहि ॥४ देवाइँ वत्थई ढोइय आहरणइ रयणुज्जोइयइँ ॥५ केजर-हार-कडिसुत्ता णेउरई कडय-संजुत्ताइँ ॥६ अवरइ मि देवि तोसिय-मणेण आसाल-विज मग्गिय खणेण ॥ ७ ताएँ वि दिण्ण परितुट्टियाएँ णिय हाणि ण जाणिय मुद्धियाएँ ॥ ॥ घत्ता ॥ ताव विसालिय आसालिय णहें गजन्ति पराइय । तं विज्जाहरु णलकुव्वरुं मुऍवि णाइँ सिय आइय ॥९ [१५] गय दूई किउ कलयलु भडेंहिँ परिवेढिउ पुरवरु गय-घडेंहिँ ॥१ सण्णहेवि समर णिच्छिय-मणहों 'णलकुव्वरु भिडिउ विहीसणहों ॥२ वल वलहों महाहवें दुज्जयों रहु रहहों गइन्दु महागयों ॥३ हउ हयहों णराहिवु णरवरहों पहरण-धरु वर-पहरण-धरहों ॥४ चिन्धित चिन्धियहाँ समावडिउ 'वइमाणिउ वइमाणिहें भिडिउ ॥५ तहिं तुर्मुलें जुझे भीसावणेण जिहं सहसकिरणु रणे रावणेण ॥ ६ तिह विरह करेविणु तक्खणेण णलकुव्वरु धरिउ विहीसणेण ॥७ सहुँ पुरेण सिद्ध तं सुअरिसणु उवरम्भ ण इच्छइ दहवयणु ॥ ॥घत्ता॥ सो जे पुरेसर णलकुव्वरु णियय केर लेवावि। समउ सरम्भऍ उवरम्भऍ रजु से ई भु झाविउँ ॥ US 14. 15 वहरिहि. 2 PS सिद्धिएण. 3 PS भासालि. 4Aणलकूवरु. 15. 1 This pāda is missing in P. 2 A ETE. 3 P s grad. 4 portes 5A करेवि पहरेवि खणेण.6 मिडिउ. 7 PS लेवाविभड, A लेवाविविउ. 8 P सयद सवं 9 PS भुंजावियत. [५] १ विमाणारूढः, २ संप्रामे (१). ३ रबरहितः,