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पृष्ठ:पत्थर युग के दो बुत.djvu/१६५

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पत्थर-युग के दो बुत
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पत्थर-युग के दो वुत १५२ . भी कप्ट नहीं होता। लमहे-भर मे प्राण पखेरू उड जाते है। यही शायद ठीक होगा। इससे रेखा के मार्ग का रोडा हट जाएगा। उसका मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। वह खुशी से राय के साथ रह सकेगी और मेरा भी काट दूर हो जायगा । मैं रेखा के विना नही रह सकता। क्या कहू, देवो, देखो, कलेजे मे दर्द उठा। आह, आह, कौन, कौन यह मेरी पसलिया मेरे सीने से खीच रहा है ? अोह, अरे भाई ठहरो। इतने जालिम न बनो, म अभी जिन्दा हू । जिन्दा आदमी की पसली उसके सीने से भला इम वेरहमी ने निकाली जाती है | प्रोफ, प्रोफ, अजी, वहुत दर्द है, वहुत-बहुत इसकी एक दवा है । अभी यह दर्द काफूर हो जाएगा। यह उन दराज मे दवा रखी है। निकालकर देखू ? यही है, यही, जरा-मी काली-काली चीज़ है, मगर वडे काम की है । अाज तक मैंने कभी इने इस्तेमान ही नही किया। खिलौना बनी पडी रही इसी दराज मे। ग्राज शायद म प्रा सकेगी? गोलिया कहा है । ये रही, भर लेता ह । प्री बारह गोनिया मैन भर ली हैं, पर मेरा ख्याल है मेरे लिए एक ही काफी है मे गापर घोडा दवा द्गा, वस सव काम अपने-ग्राप ही हो जाएगा। मिन्नु चाहनी जो हो, रेखा वेवफा भले ही हो गई हो, पर वह मेरे लिए रोए पिरा तो नही रहेगी। मेरे-जैसा दिलदार ग्रादमी उसे मिलेगा कहा ' -हा-दा, न अपने कसरो पर विचार कर रहा था। मैं अपनी गराब पीने की पादत की वावत कह रहा था जिसने रेखा को मुझते पृथक कर दिया। पर इतनी ही तो वात नहीं है। उन रिताबो ने मने पटा पारित अकेली नहीं रह सकती। न कुबूल करता है कि ने अपने नामा न वा रहता था। मेरा काम भी तो ज़िम्मेदारी पापा । रेखा को प्रतीपानी पडती पी, नो क्या हुया | क्या मनुष्य का जीवन नो-बिलान ही किस है ? नहीं-नहीं, मनुष्य के बहुत-ने जिम्मेदारी ३ महन्त्रपग काम हरितग सम्बन्ध समाज के जीवन से है। भोग-विनानीपन का देवनही , जीवन को कायम रनने का शेतन है । इतनी-जीदानमा ने नहींना नहीं-नहीं, क्न् मेरा नहीं ह रेवा ना है। दिन इट माना -