तिरछे अक्षरपत्थर-युग के दो दुत मैंने राय को मार डाला है । लेकिन सिर्फ तीन गोलिया खर्च हुई हैं । अभी नौ गोलिया इसमे और है। उठा लो इसे और मेरी कनपटी मे नाल छुपाकर घोडा दवा दो। ज़ोर लगाना नही पडेगा। जरा-से झटके से काम हो जाएगा । हा, तुम्हारे ही हाथ से यह काम होना अच्छा है। लेकिन पहले इन लाल-लाल होठो का एक चुम्बन दे दो। यद्यपि ये जूठे हो चुके, वेवफा हो चुके, अपवित्र हो चुके, परन्तु मेरे लिए यह पविन प्रेम का प्रसाद है । अपने लिए मत डरो। मैंने अपनी सव सम्पत्ति, वीमा पोरक- एकाउण्ट तुम्हारे नाम प्रथम ही कर दिया है। प्रायो, और पान प्रायो। मेरे अक मे बैठ जायो। उसी भाति जिस भाति व्याह के बाद बैठनी दी। अपनी भुजवल्लरी मेरे कठ मे डाल दो और एक प्यार दे दो, मन एक प्यार । प्यारी रेखा, डालिंग, स्वीट | प्रायो-यायो। हा-हा, ए चार वता दो, प्रद्युम्न ग्वैर जाने भी दो। अव एक क्षण भर के लिए TE वात जानकर भी क्या करूगा? "पायो-पायो मेरी प्यारी रेखा। इतनी निकट या बायोनि मेरा हृदय अपनी प्रतिम धडकन तुम्हारे हृदय की घडपन से मिना दे।" लेकिन-लेकिन अरे, यह तो बेहोश हो गई। घटान ने फ्ग पर पिर गई। सिर फट गया इसका । किसे पुकारू ? किने योर ।
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