पृष्ठ:पत्थर युग के दो बुत.djvu/१८६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

6 २७८ पत्थर-युग के दो वुत "कहो, तुम उससे शादी करोगे?" "नही।" "क्यो नही? क्या तुमने रेखा को घर से बेघर नहीं किया? उने तुमने व्यभिचारिणी नही बनाया?" "वह स्वय मेरे सिर या पडी। वह तुम्हे पृणा करती है।" "और तुमसे प्रेम करती है | तो तुम उससे शादी क्यो नहीं कर लेते?" "तब तो जो-जो औरते मेरे माथ सोती है, मुझे उन मवसे शादी करनी पडेगी?" "बदमाश, कुत्ता ।" और मैंने रिवाल्वर निकाल लिया है। राय की प्राग्वे फैल गई हैं । उसने कुछ कहना चाहा, पर होठ हिलकर रह गए है। मुह से वात नही फूटती है । वह वायरूम की अोर सिमक रहा है। मैंने कहा, "हिलना नहीं । रिवाल्वर मे बारह गोलिया हैं।" और वह चीते की तरह मुझपर टूट पडता है। उसने मेरी कलाई पकडली है। हम गुथ रहे हैं। यह प्राणो का युद्ध है। मैंने उसे घर पटका है। उसका सिर फट गया है। वह घायल साड की भाति कराह रहा है। मने रिवाल्वर को फिर जाच लिया है। मेरी उगली घोडे पर है। मैंने उसे दबोच रखा है। “अव वोल, शादी करेगा ?" "नहीं।" "नहीं "नही।" "तो ले।" 60 1 . घाय। पाय ।। घाय मव खत्म | खेल खत्म । मर गया कुत्ता | गोली ने भेजा फोड दिया।