पृष्ठ:पत्थर युग के दो बुत.djvu/१८७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पत्थर-युग के दो बुत १.४ कितना खून निकला है और एक वार देवकर में चल देता है । वेवी चीत्रती हुई पाती है। एक नौकर भी है। "हाथ ऊपर करो।" मने कडकर नौकर न रहा । नोकर हार उठाकर खडा हो जाता है। रास्ता छोडो " मैं बेबी को एक अोर के ना नीन पाता । चौकीदार और माली गाडी की गह गेले ड। मन पिर दिवाकर उन्हे डरा दिया है। और में घर लौट रहा है। नामने सी मचा' का अभी रिवाल्वर मे नौ गोलिया और है। पारपार दू। यहा कौन मेग हाय रोवेगा | पिनर र राप्रार.. भर देख लू मै घर आ गया ह। रेवा पागल सी नाति दाटी ना. चेहरे पर रत्त की एक भी पद नहीं है। मने -ने पता - राय को मार डाला है। मैं उससे अनुरोध कर रहा है कि नर्म गर्म आलिंगन मुझे दे, और मेरे नट में तबाही दासी नार दे। कुछ ज्यादा दिक्कत नहीं होगी कनपटी है। मेरे मन वी मन में रह गई । उनमा सिर फट गया है। मे निम्तर पर लिटाना वाहिना हाह। 7