पृष्ठ:पदुमावति.djvu/३२३

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१२६] सुधाकर चन्द्रिका। २३३ ( शुक कहता है, कि राजन्,) योग की कहानी कहने से क्या भया, अर्थात् क्या होता है, उस से कुछ भी फल-सिद्धि नहीं, व्यर्थ बक-वाद से समय नष्ट करना है, ( क्योंकि) विना दही के महने से घी नहीं निकलता है। जब तक कोई आप नहीं हराच जाता है, अर्थात् अपने को नहीं खो देता है, तब तक हेरता (ढूँढता) हुआ उस प्रेम को (सोई) नहीं पाता ॥ ब्रह्मा ने (दूस) प्रेम-रूपी पहाड को (ऐमा) कठिन बनाया (गढा) है, (कि दूस पर पैर से कोई नहीं चढ सकता, परन्तु) वह (मो ) निश्चय से (पद) चढता है, जो कि शिर से चढता है, अर्थात् संसार के प्राणी मात्र से जो उलटा चले वह दूस प्रेम-पहाड पर चढे । दूम लिये सब प्राणी के चलने का व्यापार जो पैर से होता है, उस से विपरीत-व्यापार से, अर्थात् शिर के बल से, जो चलना खौकार करे सो इस प्रेम-पहाड पर चढे ॥ (जिम के हृदय में प्रेम का अङ्कर उठा, उसे समझो, कि) शूली के राह (जाने) का अङ्कुर उठा। (सो उस शूली पर दूसरे की सामर्थ्य नहीं, कि चढे ; क्योंकि उस पर) चोर चढता है, अथवा मन्सूर (ऐसा था जो) चढा। बैज़ा का रहने-वाला शेख हुशेन हल्लाज धुनिये का पुत्र मन्सूर हल्लाज * था। बहुत मुसल्मानों का मत है, कि यह बडा ब्रह्म-ज्ञानी वेदान्ती था, और बहुताँ का मत है, कि यह बडा-ही फरेबी था; फरेब-ही से बहुताँ को ठग कर, अपने में विश्वास दिला कर, ब्रह्म-ज्ञानी बना था। यह अपने को भारतवर्षीय वेदान्ती साधुओं के ऐसा 'अनुल हक (सोऽहं),' अर्थात् 'मैं ही ईश्वर हूँ' कहता था, इस पर रुष्ट हो कर बगदाद के खलीफा मक्तदिर ने इसे सन् ८ १८ ईशवी (३ ० ६ हिजरी) में शूली पर चढा दिया। इब्न-खलीकान् के मत से यह घटना सन् ८ २२ ई०, मार्च को २६ वौँ (३०८ हि०, जोकप्रद की २४ वौं ) तारीख को हुई। मुसल्मानों में कहावत है, कि शूली के समय मन्सूर के अङ्ग से जो रक्त-विन्दु गिरते थे, उन प्रत्येक में से 'अनुल हक, अनुल हक' ऐसा शब्द होता था। खलीफा ने मृत-देह को भस्म करवा डाला। एक रूमौ मौलाना ने उस में की थोडी राख शीशी में रख, घर ले आया, और अपनी सयानी कन्या से कहा, कि यह अलभ्य वस्तु है इसे बडे यत्न से रक्खो। उस ने इसे अपूर्व पदार्थ समझा दूम लिये थोडौ-सौ राख निकाल कर, खा गई। उम के खाने से गर्भ रहा। लडका होने पर उस कन्या के पिता रूमौ मौलाना ने उस लडके को जारज समझ, वन में फैकवा दिया। पीछे से वही

  • See Beale's Oriental Biographical Dictionary, s. v. Maoşür Hallāj.

मन्सूर की 30