सुधाकर-चन्द्रिका। = दोसरे ठाउँ दई वेइ लिखे । भए धरमी जेइ पाढत सिखे ॥ जेइ नहिं लीन्ह जनम भरि नाऊँ। ता कहँ कौन्ह नरक मँह ठाऊँ जगत बसौठ दई ओहि कौन्हा । दुहुँ जग तरा नाउँ जेइ लौन्हा ॥ दोहा। गुन अउगुन बिधि पूछब होइहि लेख अउ जोख । वह बिनउब आगइ होइ करब जगत कर मोख ॥ ११॥ पूनिउँ करा = पूर्णिमा को कला । लेसि बार कर। पाढत = पाठ । बमोठ -दूत। अउगुन अवगुण । पूछब = पूछेगे। होइहि = होगा। बिनउब = बिनती करेंगे। करब करेंगे। मोख = मोक्ष । उस ईश्वर ने मुहम्मद नाम पूर्णिमा के चन्द्र के कला, ऐसा एक निर्मल पुरुष को किया । बिधि (ब्रह्मा) ने सब से पहले तिस को ज्योति को सजा और तिमी के प्रसन्नार्थ सृष्टि को उत्पन्न किया ॥ (ब्रह्मा ने ) जगत को दीपक बार कर दिया, अर्थात् जगत में मुहम्मद को दीपक के ऐसा प्रज्वलित किया। इसी लिये संसार (संसार के लोग ) निर्मल हो गया (=भा), और मार्ग को पहचान लिया ॥ यदि ऐसा उँजियारा पुरुष न होता, तो अँधियारे में पन्थ (राह) न सूझ पडतौ ॥ वह दई (मुहम्मद देव ) उन लोगों को दूसरे स्थान में लिखे, जो लोग कि उन के पढाये हुये पाठ को सिख लिये ॥ और जिन लोगों ने जन्म भर (उन के पढाये हुये पाठ का) नाम तक नहीं लिया। उन के लिये नरक में स्थान किया ॥ पिछली चौपाई में दूसरे स्थान से स्वर्ग लेना चाहिए। मुसल्मानों में प्रसिद्ध है, कि धर्मों के लिये वर्ग और पापियों के लिये नरक लिखा जाता है। उसो लेख के अनुसार प्रलय में विचार किया जाता है ॥ देव (ईश्वर) ने जगत में उस को (मुहम्मद को) अपना दूत किया (बनाया )। इस लिये जिस ने (मुहम्मद का) नाम लिया, वह दोनों जग ( यह लोक और परलोक ) को तैर गया । मुहम्मद का नाम लेने से, दूस लोक में मुहम्मद की कृपा से सुख, और परलोक में, ईश्वर के दूत होने से, ईश्वर के यहाँ उस पुरुष को मुहम्मद ने जो प्रशंसा की, दूस से सुख ॥ (प्रलय के समय में) ब्रह्मा गुण अवगुण पू.गे, और लेखा (हिसाब ) जोखा (तौल) होगा। वही मुहम्मद अागे हो कर बिनती करेंगे, और जगत का मोक्ष करेंगे ॥ यहाँ ग्रन्थ-कार ने विधि (ब्रह्मा) और ईश्वर में अभेद माना
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