पृष्ठ:पदुमावति.djvu/६४२

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५२४ पदुमावति । २३ । राजा-गउ-का-खंड । [२४२ चाँद मिलन कइ दोन्हैसि आसा। सहसहु कराँ सूर परगासा ॥ पतरि लौन्ह लेइ सौस चढावा। दिसिटि चकोर चाँद जनु पावा ॥ आस पिपासा जो जेहि केरा। जउँ झिझिकार ओही सो हेरा॥ अब यह कउन पानि मई पौत्रा। भा तन पाँख पनग मरि जौबा ॥ उठा फूलि हिरदइ न समाना। कंथा टूक बिहराना॥ टूक दोहा। जहाँ पिरौतम वेइ बसहिँ यह जिउ बलि तेहि बाट । जउँ सो बोलावइ पाउँ सउँ हउँ तहँ चलउँ ललाट ॥ २४२ ॥ E वायु। होड़ सुनि कडू = सुन कर (श्रुत्वा)। असि = ऐसौ = एतादृशौ । पदुमावति= पद्मावती। मया = माया=दया =कृपा । भा=भया (बभूव) हुश्रा । बसंत वसन्त-ऋतु । उपनौ = उत्पन्न हुई (उत्पन्ना)। नदू = नई (नव)। कया = काय = शारीर- देह । सुत्रा शुक = सुग्गा। क = को। बोलि = बोलौ = वाणी। पउन = पवन = हो कर (भूत्वा )। लागा= लगा= लगद (लगति) का प्रथम-पुरुष, भूत-काल, पुंलिङ्ग का एक-वचन । उठा = उठद् (उत्तिष्ठते ) का प्रथम-पुरुष, भूत-काल, पुंलिङ्ग का एक-वचन। सोदू = सो कर (पाशीय)। हनुवंत हनुमान्। जागा जागद् (जागर्त्ति) का प्रथम-पुरुष, भूत-काल, पुंलिङ्ग का एक-वचन । चाँद चन्द्र । मिलन कद् = मिलने को मेलनस्य । दोन्हसि दिया (अदात्)। श्रामा = आशा = उम्मौद। महसह = महौः हजारौं । कराँ = कला वा किरण । सूर = सूर्य । परगासा = प्रकाश किया (प्राकाशयत् )। पतरि = पत्त्री चिट्ठी। लोन्ह = लिया [ अलात् ) । लेदू = ले कर (श्रालाय)। सौम शौर्ष = शिर । चढावा = चढावद् (उच्चालयति) का प्रथम-पुरुष, भूत-काल, पुंलिङ्ग का एक-वचन । दिसिटि = दृष्टि । चकोर = एक प्रसिद्ध पक्षी, जो चन्द्र से अत्यन्त प्रेम रखता है। जनु =जाने =जानौँ। पावा = पाव (प्राप्नोति) का प्रथम-पुरुष, भूत-काल, पुंलिङ्ग का एक-वचन । श्रास = आशा। पित्रासा= पिपामित प्यामा। जो = यः । जेहि केरा जिस का वा जिस के। जउ = यदि। झिझिकार = झझकारे= झट-कारे ( झट कारयेत् )। श्रोहौ = उमौ को। मो = सः= वह। हेरा = हेर (हेडते) का प्रथम-पुरुष, भूत-काल, पुंलिङ्ग का एक वचन । अब = अधुना = इदानीम् । यह = श्रयम् वा इदम् ।