पृष्ठ:पदुमावति.djvu/७०९

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२७३] सुधाकर-चन्द्रिका । तेनैव । तिम । दण्ड = जो अस बजर टरइ नहिँ टारा। सोउ मुत्रा दुइ तपसिन्ह मारा ॥ नातौ पूत कोटि दस अहा। रोत्रनिहार न एकउ रहा ॥ दोहा। ओछ जानि कद काही जनि कोइ गरब करे । ओछे पार दइउ हइ जौत-पतर जो देइ ॥ २७३ ॥ रात्रोन = रावण = प्रसिद्ध लङ्का का राजा । गरब = गर्वण = गर्व से अभिमान से । बिरोधा = बिरोध (विरोधयति) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन । रामू = राम= भगवान का प्रसिद्ध एक अवतार = दशरथ का पुत्र । उहई = वहौ भण्उ = बभूव-श्रा । सँगरामू = सङ्ग्राम = युद्ध । तेहि =तस्य = अस = ऐसा = एतादृश। को = कः = कौन । बरिवंडा = बलवन्त = बलवान्। जहि = यस्य = जिसे। दस = दश । मौम = शौर्ष = शिर । बौम = विंशति । बहु-दंडा = बाड- भुज-दण्ड । सूरज = सूर्य । कदू = की। तप = तपति = तपता है। रमोई - रसवती। बदसुंदर = बैश्वानर = आग। निति = नित्य । धोती = धौत वस्त्र । धोई (धावयति )= धोत्र = का भूत-काल, स्त्रीलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन । सूक = शुक्र तारा। सउँटिश्रा साँटिश्रा = माँटाबर्दार = द्वारपाल । मसि = शशि = चन्द्रमा । मसिबारा=मशालचौ = मशाल देखाने-व -वाला। पउनु = पवन = हवा = वायु। करदू = करोति = करता है, यहाँ करता था। बार = द्वार = दरवाजा। बोहारा =बोहारह ( व्याहारयति)= बोहार । मौंचु = मृत्यु = मौत । लाइ करि = पालाय = ले कर = पकड कर। पाटी = पट्टिका = पट्टी। बाँधौ = बाँधद (बध्नाति) का भूत-काल, स्त्रीलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन । रहा = प्रामौत् । श्रो सउँ तत्सदृश उस के ऐसा। दोमरि- द्वितीय = दूसरा। काँधी = कन्धादेने-वाला = बराबरी करने-वाला। जो = यः। बजर = वज्र। टर =टरता=चलता। टारा टालने से = चलाने से। मोउ सोऽपि भी। मुत्रा = ममार = मर गया। दुद् = द्वौ दो। तपसिन्ह = तपसौ (तपस्वी) का बहु-वचन । मारा = मारद (मारयति ) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, बहु-वचन । नातौ = नप्ता = कन्या का पुत्व, या पौत्र, पुत्र का लडका । पूत = पुत्त्र = बेटा । कोटि = करोड। दम दश। अहा = आसीत्, यहाँ श्रासन् = थे। रोत्रनिहार = रोनेवाला । एकोऽपि = एक भौ। रहा = ठहरा = - एकउ= तस्थौ ॥