सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:पदुमावति.djvu/७१८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पदुमावति । २५ । सूरी-खंड। [२७७ =भाग। बरा पर्वत । फरहरा जर वैश्वानर बर (वरति) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, का एक-वचन । सवा लाख = सपादलक्ष । परबत = फरहरड (स्फुरति ) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन ॥ नबदू = नवापि = नवो। नाथ = नाथान्त सिद्ध-पुरुष, गोरख-नाथादि । चलि = चल कर = चलित्वा । श्रावहौं = आयान्ति = आते हैं। चउरासी = चतुरशीतिः चौरासी। सिद्ध = सिद्ध-पुरुष। बहुटि = प्रौटन श्रावर्त्तन । बजर = वज्र= = बिजली।

जरद (ज्वलति) =जरता है वा जरती है। धरती = धरित्री =भूमि । गगन

आकाश = आसमान । गरुर = गरुड = मांसखाने-वाला प्रसिद्ध पक्षौ, जिसे दूस प्रान्त में ढकपडेर कहते हैं । गिद्ध = ग्रघ्र = मांसखाने-वाला प्रसिद्ध पक्षौ ॥ जैसे-हौ भाट के वेष में महादेव ने (पिछले दोहे की बात ) कहौ, (वैसे-हौ) वीर हनुमान रखने से अर्थात् रोकने पर भी नहीं रहे (झट उठ खडे हुए )। उसो क्षण में उस शूलौ को चूर कर डाला, ( और ) पकड कर मुंह में डाल लिया जानों (कोई ) मूली मुँह में डाल कर खाता हो। महादेव ने रण का घंटा बजाया, जिस का शब्द सुन कर (ब्रह्म-लोक से दौडे) ब्रह्मा चले आए। मुरारि विष्णु अस्त्र ले कर (लड़ने के लिये ) चढाई किए ; इन्द्र-लोक के सब लोग ( रत्न-सेन को) रक्षा करने लगे। पाताल से शेष नाग ने अपने फन को निकाला, बाठो कुल के नाग ( आ कर ) खडे हुए। तेंतिम करोड देवता (लडने कौ) तयारी करने लगे और छानबे बादलों के झुंड गरजने लगे। छप्पन करोड आग बरने लगी, मवा लाख पर्वत फरकने लगे ॥ नवो-नाथ और चौरासी सिद्ध भौ (वहाँ) चले श्राए। बिजली के श्रौटने से भूमि जलने लगी। गरुड और गिद्धव ( नर-मांस खाने के लिये) आकाश में मँडराने लगे ॥ हनुमान केशरी के वीर्य से अञ्जना के गर्भ से उत्पन्न हुए हैं, रामायण में दन को कथा प्रसिद्ध है। महादेव, ब्रह्मा और विष्णु ये पुराणों में प्रसिद्ध तीन देवता हैं ॥ इन्द्र-लोक में दुन्द्र रहता है। वह देवताओं का राजा है, दूस के लोक को स्वर्ग लोक कहते हैं। दूस को राजधानी अमरावतौ पुरौ और सभा सुधर्मा है। दूस गौतम को स्त्री अहल्या का मत बिगाडा था। दूस लिये गोतम के शाप से दूम को देह में हजार योनि हो गई थी। पौके लङ्का विजय करने पर राम के वर से ,