पृष्ठ:पदुमावति.djvu/७२७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२८०] सुधाकर-चन्द्रिका। . फिर (दूम के ) आगे राजा क्या देखता है कि रण में महादेव का घंटा बजा। ( उस घंटे की आवाज ज्यौँ हौ सुनी गई (त्यौँ हौ) विष्णु ने ( अपनौ) उस (पाञ्च- जन्य) शंख को (स्वर से ) पूरा, अर्थात् मुँह में लगा कर फूंक को भरा (जिस से बहुत भारी शब्द हुआ। (फिर इस के ) भागे हनुमान के लंगूर में शत्रु को सेना के सब हाथी घोडे योद्धा लिपटे हुए ( उसी लंगूर में ) पडे स्वर्ग से ब्रह्माण्ड में, स्वर्ग से पाताल में और ( पाताल से ) मर्त्य लोक में घूमा फिरते हैं । बलि, वासुकि, और ( देवताओं का राजा) इन्द्र, मनुष्यों के राजा, (भौमादि) ग्रह, नक्षत्र, सूर्य और चन्द्र, (मब) पुरिौँ के जितने दानव और राक्षस, (सब को) औटने-वाला वज्र, ये सब (महादेव के घंटा के बजते हौ) श्रा कर रण में जुट गए। राजा गन्धर्व-सेन जिन लोगों का गर्व करता था वे सब उलट कर (राजा गन्धर्ब-सेन के ) पात्रु हो कर (उन्ही के ऊपर खड़ने के लिये) तयारी करने लगे। (इस आश्चर्य को देख कर राजा गन्धर्व-सेन घबडा गया ) जहाँ रण में महादेव खडे थे (वहाँ महादेव जी के पैर पर अपनी) स्त्री (चम्पावती) को गिरा कर (आप भी वहाँ पर) श्रा कर (महादेव जी के ) पैर पर गिर पड़ा । ( और गिडगिडाने लगा कि श्राप) किस कारण से क्रोध करते हैं। मैं तो (श्राप का) दास और टहलुा हूँ। (आप) गोसाई को (वह पद्मावती ) बेटी है, जिसे चाहिए उसे दीजिए। मैं जो आप को इच्छा में कुछ बाधा करूँ तो अवश्य मेरे ऊपर क्रोध कीजिए। महादेव प्रसिद्ध तीन देवताओं में एक देवता हैं जो सृष्टि का नाश करते हैं। विष्णु भी प्रसिद्ध तीन देवताओं में एक देवता हैं जो सृष्टि का पालन करते हैं । हनुमान को कथा रामायण में प्रसिद्ध है। स्वर्ग के लिये इस ग्रन्थ का ३ पृ० देखो । पाताल के लिये इस ग्रन्थ का ३ पृ० देखो । बलि के लिये इस ग्रन्थ का ४३८ पृ. और २०२ दोहे को टौका देखो। वासुकि के लिये इस ग्रन्थ का १६५ पृ० देखो। इन्द्र देवताओं का राजा, अदिति का ज्येष्ठ पुत्र, पुराणौँ में स्वर्ग का राजा कहा जाता है। ग्रह से यहाँ पर भौम, बुध, वृहस्पति, शुक्र और शनैश्चर हैं । - 77