पृष्ठ:पदुमावति.djvu/७३५

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२८४] सुधाकर-चन्द्रिका। दोहा 1 सुत्रा सुफल पइ आना हद ता ते मुख रात। कया पौत सो तेहि डर सवरउँ बिकरम बात ॥ २८४ ॥ रसना रस = पटू . जउ यदि = जौं। पंखौ = पक्षी पंछी = चिडिया । जिहा = जीभ । खाद को वस्तु । रसा = रसद् (रस्यति ) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन। तहि = तस्य = तिम । क = को। जीम = जिहा। अविरित = अमृत । अपि = निश्चयेन । बसा = बसद (वसति) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन । सेवक = दास = टहलुा । कर महि = कर्मणाम् = कर्मों का। दोसू = दोष । सेवा = टहल = खिदमत। करत = कुर्वन् = करते। पति = प्रभु = मालिक। रोम = रोष -क्रोध। अउ = अपि = और । जहि = यस्य जिस के । दोस = दोष । दोसहि = दोष को। लागा = लगा = लगद (लगति) का भूल-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक- वचन। मो = वह = सः। डरि = आदर्य = डर कर। तहाँ = तत्र = वहाँ। जीउ जीव = प्राण । लैदू श्रालाय =ले कर । भाग = भाग (अभ्यगच्छति) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन । जउँ यदि = जौँ । कहवाँ = कहाँ = कुत्र । थिर - स्थिर । रहना = अहणा = योग्यता। ताकद = तय॑ते = ताकता है = देखता है। जहाँ यत्र । जाप = जादू याति । जाता है। जो यत् । उहना = उड्डयन = मात। दीप = द्वीप। फिरि भ्रमित्वा = घूम कर। देखेंउ = अपश्यम् = देखा । राजा = राजन् = हे राजा। जंबूदीप = जम्बूद्वीप। जादू = - यात्वा = जा कर । पुनि = पुनः फिर । बाजा = बज (वाद्यते) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन । तह तहाँ =तत्र । चितउर = चित्रवर या चित्रपुर = चित्तौर। गढ = गाढ= दुर्ग = किला। ऊँचा= उच्च । ऊँच = ऊँचा = उच्च । राज= राज्य । सरि= सादृश्य - बराबरी। तोहि =तव= तुम्हारी। पहँचा = पहुँचद् ( प्राप्नोति) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम- पुरुष, एक-वचन । रतन-सेन = रत्न-सेन। यह = यह = अयम् । नरेसू = नरेश = राजा। श्रापउँ = अगच्छम् = श्राया। लेद श्रालाय = ले कर। जोगी = योगी। कर = का। भेसू = वेष ॥ सुग्गा। सुफल = अच्छा फल । पद = अपि = निश्चय कर। थाना = श्रान (श्रानयति) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन । हद् = अस्ति = है। - डैना । सपत = सप्त % 3D सुत्रा शुक 78