पृष्ठ:पदुमावति.djvu/७३८

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पदुमावति । २५ । सूरी-खंड । [२८५ पक= मोम । भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन । बाँधा =बाँधा हुअा = बद्ध । रतन = रत्न रत्र-सेन । छोरि कदू = छोडयित्वा = छोड कर। थाना = पान (श्रानयति) का भूत- काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन । कुल = वंश । पूछा पूछद्र (पृच्छति) का भूत- काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन । चउहान = चहुबान = चतुःस्थान = अग्नि से पैदा हुए चार क्षत्रिय वंशों में से एक प्रसिद्ध क्षत्रिय वंश । कुलौना कुलीन प्रतिष्ठित। बाँधद् = बाँधने से = बन्धनेन । हो = भवति = होता है। मलौना = मलिन = मैला । हौरा =हौर = हौरक (रत्न)। दसन दशन = दाँत। पान = पर्ण। रंग = रङ्ग =रंग। पाके पके । बिहँसत = विहसन् = बिहँसते । सबहिं = सर्वे = सबों ने । बौजु = विद्युत् = बिजलौ। बर = वर = श्रेष्ठ । ताके = तय = जान पडे अनुमान किए गए। मुंदराः मुद्रा = गोरख-नायौ-पंथिओं का एक कान में पहरने का पदार्थ । सवन = श्रवणा=कान। मदून मदन = सउँ= से। चाँपे = चापित = दबाए हुए। राज-बदून = राज-वचन राजा को बोल । उघरे = उहटित =खुले। सब सर्व। झाँपे= झम्पित = ढंपे हुए = बंद किए हुए = छिपाए हुए। श्राना श्रान (श्रानयति) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन। काटर कर्त्तक = कट्टर = काटने-वाला। तुखारू = तौर्व तुरङ्ग तीखा घोडा। कहा = अकथयत् । सो =मः = वह । फेर फेरे =भ्रामयेत्। असवारू = अश्ववार = सवार । फेरा = फेर (भ्रामयति ) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन । तर = तुरग = घोडा। छतौमउ = षट्त्रिंशदपि = कुत्तौमो। खूरी खुरविन्यास = पैरों को चाल। सराहा सराहदू (लाघते) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम पुरुष, एक-वचन । सिंघल-पूरौ = सिंहल-पुरौ= सिंहल-पुर के रहने-वाले ॥ कुअर = कुमार =राज-कुमार। बतौमउ बत्तीसो द्वात्रिंशदपि। लकवना= लक्षण । सहस = सहस्त्र= हजार। करा किरण = कर। जम = यथा = जैसे । भानु = सूर्य। कहा = किमु = क्या। कसउटौ= कषवटी = कसौटौ = सोना परीक्षा करने का एक विशेष पत्थर का टुकड़ा। कमिश्रर = कमिए = कय्येत । कंचन = कञ्चन = सुवर्ण = मोना । बारह = द्वादश । बानु = वर्ण ॥ पहले भाट सच बोलने-वाला हुआ फिर हीरामणि ने (भी) गवाही में (वही बात ) कहौ। (भाट और सुग्गे को एक ही बात होने से ) राजा (गन्धर्व-सेन ) को निश्चय हो गया (और यह राजा अच्छे वंश का है यह बात ) मन ने मान ली। कला