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पृष्ठ:पदुमावति.djvu/७८

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पदुमावति । १ । यसतुति-खंड । [२१ हंसते हो, या कोहार को (जिस ने मेरी ऐसी-ही गढनि गढी है), इस पर उस राजा को ऐसा ज्ञान हो गया, कि उसो-क्षण दून का शिव्य हुआ ॥ ब्रह्मा ने (मुहम्मद को) जग में जैसा चाँद है ऐसा-हौ अवतार दिया है, कलङ्क दिया तो उज्वल भी किया (जिस के प्रकाश से जगत् उज्ज्वलित होता है), कवि का अभिप्राय है, कि जैसे चन्द्रमा में कलक-रूपी दोष, उसी प्रकार काना होना मेरे में दोष । जिस प्रकार जगत् को प्रकाश करना यह चन्द्रमा में गुण, उसी प्रकार मेरी कविता-द्वारा जगत् को जो आनन्द होना, यह मेरे में गुण है॥ (मुझे) एक-हौ आँख से जग (भर) सूझ पडा, अर्थात् लोगों को दो आँख होती है, वे दो कोश तक भौ पृथ्वी को नहीं देख सकते, और मैं एक-हौ आँख से जग भर को देख लिया। जैसे नक्षत्रों के बीच में शुक्र उदित है (उसी प्रकार मैं संसार के लोगों के बीच में उदित हूँ)॥ वामन भगवान को जब बलि साढे तीन पैर भूमि दान देता रहा, उस समय उस के गुरु शुक्र विघ्न करने के लिये जल को झारी में था बैठे। संकल्प करतो समय झारौ से जल न गिरे, तब कौतुको भगवान् ने कुशा से झारी के टोटो को साफ करने के व्याज से शुक्र को दहनौ आँख फोड दिया, यह प्रसिद्ध कथा है ॥ शुक्र की उपमा से जान पडता है, कि कवि को दहनौ आँख फूटौ थी। कवि का अभिप्राय है, कि जैसे सब नक्षत्रों के बीच काना शुक्र-ही अधिक प्रकाशवान् है, उसौ प्रकार जगत् के लोगो में मैं सब से प्रसिद्ध हूँ ॥ जब तक श्राम में बौर (मञ्जरी) नहीं होता, तब तक वह श्राम सुगन्ध से नहीं बासा जाता ॥ श्राम के सब अंग को छेद छेद कर बौर उत्पन्न होते है। इस लिये छेद हो जाना यह दोष हुआ, तो उसी के साथ सुगन्ध से बास जाना, यह गुण हुआ ॥ (ब्रह्मा ने ) जो समुद्र का पानी खारा किया, (तो उसी के साथ) समुद्र अत्यन्त असूझ और अपार हुश्रा (जिस के समान कोई नहीं है) ॥ जो त्रिशूल से सुमेरु नष्ट किया गया, अर्थात् उस का पक्ष काटा गया, तो उसी के साथ वह सोने का पहाड हो गया, और (इतना ऊँचा हुआ कि) आकाश में लग गया। पुराणों में कथा है कि पहले पहाडों के चिडियाँ के ऐसा पक्ष होते थे। उन से वे उड कर जहाँ चाहते थे तहाँ जा कर गाँव के लोगों को चापड कर देते थे। इस पर इन्द्र ने वज्र से सब के पक्षों को काट डाला। सब से पहले सुमेरु का पक्ष काटा गया, और उस के अनन्तर उस ने बडी बडाई पाई। दूस लिये सुमेरु-हो का ग्रहण कवि ने किया है। छन्द में वज्र का नाम समावेश न होने से त्रिशूल-हौ को रख दिया ।