पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/११९

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Pada 13] Moral Preparation. (१३) अनुवाद. गोपी, हरि का सन्देश सुनो । ( उन्होंने ) कहा है कि पूर्ण ब्रह्म का ध्यान करो । त्रिगुणात्मक आकार मिथ्या है । मैं जो कहता हूँ सो सत्य मानो । तीनों गुणों को नष्ट कर डालो । सब देही पंचभूतात्मक और त्रिगुणात्मक हैं । इस प्रकार जगत केवल भासमान है। ज्ञान के बिना मनुष्य को मुक्ति नहीं । यह संसार विपरूप है । रूप, रेख, नाम, कुल, गुण और वर्ण असत हैं, अधम हैं, उनमें सार नहीं है । माता, पिता, और स्त्री कोई भी सत्य नहीं हैं । जगत को मिथ्या समझो। सूरदास कहते हैं कि जिसको सुख और दुःख नहीं, उस प्रभु को जाकर भजो । ६१