पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१२०

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६२ परमार्थसोपान [ Part I Ch. 2 14. BHAKTI AS THE QUEST FOR GOD. ऊधो हमहिं न जोग सिखैहै ॥ टे ॥ जेहि उपदेस मिलें हरि हम को, सो व्रत नेम वतै है ॥ १ ॥ मुक्ति रहै घर बैठि आपने, निगुण सुनत दुख है । जिहि सिर केस कुसुम भरि गूँदै, तेहि किमि भसम चढ़ें है जानि जानि सब मगन भए हैं, आपुन | लखहै । 113 11 सूरदास प्रभु सुनहु नवोनिधि, बहुरि कि या ज अ है || 3 !!