पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१२६

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६८ परमार्थसोपान [Part I Ch. 3 CHAPTER 3 The Relation of God to Saints. 1. RAMANAND ON THE INTERNAL IMMANENCE AND THE UNIVERSAL PERVASIVENESS OF GOD. कत जाइए रे, घर लाग्यो रंगु । मेरा चित न चलै, मन भयो पंगु ॥ १ ॥ एक दिवस, मन उठी उमंग | घसि चन्दन, चोआ बहु सुगन्ध पूजन चले, ब्रह्म ठाई, । 11211 सो ब्रह्म बतायो गुरु, मनहिं माहीं ||३|| जहँ जाइए, तहँ जल पखान । तू पूरि रह्यो है सब समान वेद पुरान सब देखे जोय । उहाँ तो जाइए, जो इहाँ न होय सतगुरु, मैं, बलिहारी तोर | 11811 ॥५॥ जिन सकल निकल भ्रम काटे मोर || ६ || रामानन्द स्वामी रमत ब्रह्म । गुरु का सवद काटै कोटि करम ॥७॥ ..