पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१२८

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g ७० परमार्थ सोपान [ Part I Ch. 3 2. THE GOD OF KABIR AS NIRANJANA. ऐसी आरति त्रिभुवन तारै तेजपुंज तहँ प्रान उतारै ॥ १ ॥ पाती पंच पुहुप करि पूजा देव निरंजन और न दूजा ॥ २ ॥ तन मन सीस समरपन कीन्हा प्रगट ज्योति तहँ आतमलीना दीपक ज्ञान सबद धुनि घंटा परम पुरिख तहँ देव अनंता 11 3 11 11811 परम प्रकाश सकल उजियारा कहै कबीर मैं दास तुलारा ॥ ५॥