पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१३०

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૭૨ परमार्थ सोपान [ Part I Ch. 3 3. TULSIDAS ON THE NIRANJANA GOD AS ASSUMING THE FORM OF SAGUNA चौपाई :- सोइ सच्चिदानन्द घनरामा अज विज्ञानरूप गुनधामा व्यापक व्याप्य अखण्ड अनन्ता अखिल अमोघ शक्ति भगवन्ता 11 = 11 अगुन अभ्र गिरा - गोतीता सव दरसी अनवद्य अतीता 11 निर्मल निराकार निर्मोहा नित्य निरंजन सुख सन्दोहा इहां मोह का कारन नाहीं रवि सनमुख तम कबहुँ कि जाहीं दोहा :- भगत हेतु भगवान प्रभु राम धरेउ तनु भूप । किए चरित पावन परम, प्राकृत नर अनुरूप ॥ निर्गुन रूप सुलभ अति, सगुन न जानहिं कोइ । 11 सुगम अगम नाना चरित, सुनि मुनि मन भ्रम होइ ॥