पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१४८

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९० - परमार्थसोपान [Part I Ch. 3 11. ON THE PARITY BETWEEN DEVOTEE AND GOD AS IN TULSIDAS. मैं मझधारा का माँझी हूँ, तुम भव-सागर के केवट हो । जब कृपा नजर मुझ दास पर हो, तब नैया गंगा के तट हो ॥ १ ॥ मैं सुरसरि पार उतार दिया, - भव-सागर पार लगा देना | जिस जोनि में जन्म लिखूं भगवन्, तुम अपना दास बना लेना ॥ २ ॥