पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१५०

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९२ परमार्थसोपान [Part I Ch. 3 12. SURDASA'S PRAYER TO GOD TO SET OFF ONE EVIL AGAINST ANOTHER. अत्र की राखि लेहु भगवान हम अनाथ बैठीं द्रुम डरिया, पारधि साध्यौ बान ताके डर निक्सन चाहत हौं, ऊपर रह्यो सचान | दोऊ भांति दुख भयो कृपानिधि, 11211 ॥ १ ॥ कौन उबारै प्रान 11 3 11 सुमिरत ही अहि डस्यौ पारधी, लाग्यौ तीर सचान | सूरदास गुन कहँ लग बरनौं, जै जै कृपा निधान ॥३॥