यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१०० परमार्थसोपान [Part I Ch. 3 16. A DEVOTEE'S PREPAREDNESS TO BRAVE ALL DANGERS FOR THE SAKE OF GOD. ठौक पहिरावौ, पाँच बेड़ी लै भरावा, गाढ़े बन्धन बँधाव, औ खिचाओ काची खाल सों ॥१॥ विप ले पियावा, ता पै मूठिहू चलावो, मझधार में डुबाव, बाँधि पाथर कमाल सों विच्छ लै विछावो, ता वै मोहि लै सुलाबो, फेरि आगिह लगाव, बाँधि कापड़ दुसाल सों गिरि तें गिरावौ, कारे नाग ते डसावो, 11211 ॥३॥ हा ! हां ! प्रीति ना छुड़ावौ गिरधारी नन्दलाल सों ||४||