पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१६३

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Pada 17] The Relation of God. १०५ ( Contd. from p. 103 ) जब प्राण कण्ठ में आवें, तब किसी भी रोग की पीड़ा न हो और जब स्वयं आप दर्शन दें, तब तन से प्राण निकले । दुनियाँ तो अपनी इच्छाओं की पूर्ति चाहती है पर बहिरो की यह प्रार्थना है कि जब आपकी इच्छा हो तभी प्राण तन से निकले ।