पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१६४

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१०६ परमार्थ सोपान [Part 1 Ch. 4 CHAPTER 4 The Beginnings of the Pilgrimage. 1. THE GURU AS ENABLING ONE TO CROSS THE TUMULTUOUS STREAM OF LIFE. गुरु विन कौन बतावै वाट बड़ा विकट यमघाट ॥ १ ॥ भ्रान्ति पहाड़ी नदिया वीच अहंकार की लाट ॥ २॥ काम क्रोध दो पर्वत ठाड़े लोभ चोर संघात ॥ ३ ॥ मद मत्सर का मेंह बरसता माया पौन बह डाट ॥ ४ ॥ कहत कबीर सुनो भई साधो कस तरना यह घाट ॥ ५ ॥