पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१६६

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१०८ परमार्थसोपान [Part I Ch. 4 2. THE MORAL CHARACTERISTICS OF A SADGURU. साधो सो सदगुरु मोहिं भावै ॥ टे ॥ सत्तनाम का भर भर प्याला, आप पिए मोहिं प्याचे ॥ १ ॥ मेले जाय न महन्त कहावै, पूजा भेट न लावै ॥ २ ॥ परदा दूर करै आँखिन का, निज दरसन दिखलावे || 3 || जाके दरसन साहब दरभै, अनहद सब्द सुनावै 11811 माया के सुख दुख करि जानै, संग न सुपन चलावै ॥५॥ निस दिन सतसंगत में राँचै, शब्द में सुरत समावै 11 & 11 कह कबीर ताको भय नाहीं, निरभय पद सरसावै ॥ ७ ॥