पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१७९

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Pada 71 Pilgrimage. १२१ (७) अनुवाद. वहीं एक नाम अजर अमर है, जो स्मरण में प्रगट हो । मुख के विना ही जप करो । जीभ मत डुलावो । सुरत उलट कर ऊपर करो । नयनों को दिखलाओ । जब हंस पश्चिम दिशा को जाय, तब खिड़की खुलवाओ। त्रिवेणी के घाट पर उसको स्नान कराओ। जहां पानी और पवन की पहुंच नहीं है, उस प्रदेश में उसको मज्जन करने दो। उसी के बीच में एक रूप है । उसी (रूप ) पर अपना ध्यान लगाओ । जहाँ जमीन और आसमान नहीं, वह प्रदेश अजर कहलाता है । कबीर कहते हैं कि जो उस लोक में प्रवेश करता है, वही साधु पुरुष है ।