पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२३६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१७८ परमार्थसोपान [Part 1 Ch. 5 15. KABIR ON A MYSTIC'S LIFE IN THE REGION OF SUPERSENSUOUS EXPERIENCE. महरम होय सो जानै साधो, ऐसा देस हमारा 11 2. 11 वेद किताब पार नहिं पावत, कहन सुनन से न्यारा ॥ १ ॥ किंगरी बीन सितारा सुन महल में नौबत बाजै. विन बादर जहँ बिजुरी चमकै, ॥ २॥ विनु सूरज उजियारा 11 3 11 विना सीप जहँ मोती उपजै, विनु सुर सब्द उचारा 11811 ज्योति लजाय ब्रह्म जहँ दरसे, आगे अगम अपारा ॥ ५॥ कह कबीर वहँ रहनि हमारी, वूलै गुरुमुख प्यारा '11 & 11