पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२४५

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Pada 19] Ascent. १८७ • (१९) अनुवाद. अगर कोई प्यासा हो तो रामरस पिये । ए बावरे ! मृगतृष्णा जल को छोड़कर सुधारस की आशा कर । ध्रुव ने पिया, प्रह्लाद ने पिया और रैदास ने पिया । गोरख ने दिया, मत्स्येन्द्र ने पिया और मीरा ने काँस का पात्र भर- द · भर पिया । जो गुरुमुख होता हैं, वह भर भर पीता है । मन्मुख निराश होकर जाता है । कबीर कहते हैं कि, हे सन्तो ! इसे पीने से और पीने की आशा होती है ।